الإنسان نتاج خلوته وسِرّه وسريرته - الإنسان نتاج خلوته وسِرّه وسريرته - الإنسان نتاج خلوته وسِرّه وسريرته - الإنسان نتاج خلوته وسِرّه وسريرته - الإنسان نتاج خلوته وسِرّه وسريرته
يؤدّب الإنسان نفسه في محراب الصّلاة قبل محراب الحياة، فالإنسان نتاج خلوته وسِرّه وسريرته، نتاج كلّ لحظةٍ جاهد فيها هواه، وكلّ دقيقة اشتغل بها على نفسه دون عيون البشر.